Tuesday 1 November 2011

पीएम को अल्टीमेटम, फिर शुरू करंगे अनशन: अन्ना

रालेगण सिद्धि
भ्रष्टाचार विरोधी आदोलन की अलख जगाने वाले अन्ना हजारे ने मंगलवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर चेतावनी दी है कि यदि केंद्र सरकार सशक्त जन लोकपाल विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में पारित कराने में असफल रहती है तो वह फिर से अपना अनशन शुरू करेंगे।
गाधीवादी हजारे ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री से कहा कि आपकी पार्टी और आपकी सरकार के जिम्मेदार लोग उलट पुलट बातें कहकर संदेह पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। यह बात ठीक नहीं है, मैंने फिर से निर्णय लिया है कि यदि जनलोकपाल विधेयक सदन में पारित नहीं किया गया तो मैं सत्र के अंतिम दिन से अपना अनशन फिर से शुरू करूंगा और हमारी टीम लोकशिक्षा के लिए कई राज्यों के दौरे पर निकल जाएगी।
संसद का शीतकालीन सत्र 22 नवंबर से 23 दिसंबर के बीच होगा। सरकार ने कई बार कहा है कि शीतकालीन सत्र के दौरान उसकी लोकपाल विधेयक पेश करने की योजना है जबकि टीम अन्ना इस बात पर जोर दे रही है कि सरकार इसी सत्र में विधेयक पास कराए। 
  
हजारे ने प्रधानमंत्री से कहा कि यदि जनलोकपाल विधेयक सदन में पारित नहीं किया गया तो मैं सत्र के अंतिम दिन से अपना अनशन फिर से शुरू करूंगा। 
अन्ना हजारे ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में याद दिलाया कि उन्होंने 16 अगस्त को रामलीला मैदान में शुरू हुए अनशन को प्रधानमंत्री से लिखित आश्वासन मिलने के बाद खत्म किया था। यह पत्र केंद्रीय मंत्री विलासराव देशमुख ने उन्हें सौंपा था।
उन्होंने कहा कि आदोलन रूक जाए इसलिए आपकी तरफ से केंद्रीय मंत्री विलासराव देशमुख जी ने रामलीला मैदान में आकर लिखित आश्वासन दिया था कि आने वाले शीतकालीन सत्र में हमारी सरकार भ्रष्टाचार को रोकने के लिए जनलोकपाल विधेयक एक कठोर कानून बनवाएगी तब तक आप हमें समय दें।
हजारे ने कहा कि आपके आश्वासन के कारण मैंने आने वाले पाच राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान दौरा करने की योजना को रद्द कर दिया था। अभी भी मैं विश्वास कर रहा हूं कि संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान एक कठोर जन लोकपाल आने वाला है।
  गांधीवादी हजारे ने कहा कि पाच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में मैं कोई पक्ष और पार्टी का नाम नहीं लेते हुए मतदाताओं से सदाचारी लोगों को वोट करने के लिए कहूंगा। लोगों को भ्रष्ट, गुंडे, लुटेरे लोगों को वोट नहीं देने के लिए कहूंगा। मेरी आपसे विनती है कि दिए हुए आश्वासन के मुताबिक शीतकालीन अधिवेशन में जनलोकपाल कानून लाएं।हजारे ने अपने पत्र में कहा कि यदि एक प्रभावी जन लोकपाल विधेयक आएगा तो यह देश को भ्रष्टाचार से निपटने में मदद करेगा और इससे विकास कार्यो के लिए ज्यादा धन उपलब्ध हो सकेगा।हजारे ने कहा कि भ्रष्टाचार की वजह से आम आदमी का जीना मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के कारण महंगाई बढ़ने से सामान्य लोगों को परिवार चलाना मुश्किल हो गया है। देश में विकासकार्यो में खर्च किए जाने वाले एक रुपये में से वास्तव में केवल 10 पैसा ही विकास पर खर्च किया जाता है।उन्होंने कहा कि हमारे देश में अगर एक सशक्त जनलोकपाल कानून बन जाए तो 60 प्रतिशत से ज्यादा भ्रष्टाचार पर रोक लग जाएगी और आम आदमी को न्याय मिलेगा। इससे पहले 74 वर्षीय अन्ना हजारे ने कल संकेत दिया था कि वे अगले कुछ दिनों में अपना मौन व्रत तोड़ सकते हैं क्योंकि वह अपने समर्थकों से एक खुली चर्चा करना चाहते हैं।
चुनाव आयोग को भी रास आ रहा नापसंदगी का बटन
-भ्रष्ट नेताओं से छुटकारा पाने के लिए चुनाव में किसी भी उम्मीदवार को वोट न दे कर नापसंदगी का बटन दबाने का अन्ना हजारे का फार्मूला निर्वाचन आयोग को भी रास आ रहा है। अब आयोग इसके लिए सरकार को पत्र लिख कर अनुरोध करने वाला है। चुनाव आयोग चाहता है कि अगले साल पाच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले ही उसे इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन [ईवीएम] में नापसंदगी का बटन लगाने की इजाजत दे दी जाए। उधर, आयोग के साथ बैठक के बाद टीम अन्ना ने भी इस पर जल्द अमल करने की सरकार से अपील की है|
मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी सहित पूरे आयोग ने सोमवार की शाम टीम अन्ना के साथ लंबी बैठक की। इस दौरान कुरैशी ने बताया कि चुनाव के दौरान नापसंदगी के बटन के लिए खुद आयोग ने साल 2003 में सरकार को पत्र लिख कर अनुरोध किया था। उन्होंने यह भी बताया कि इसके लिए कानून में बदलाव की जरूरत नहीं है। बल्कि कानून मंत्रालय के एक कार्यकारी आदेश से इसे अमल में लाया जा सकता है। इस समय भी निर्वाचन नियम की धारा 49 [ओ] के मुताबिक मतदाता को सभी उम्मीदवारों को नकारने का अधिकार है। लेकिन इसके लिए उसे एक फार्म भर कर अपनी पहचान सार्वजनिक करनी होती है। बताते हैं कि बैठक के दौरान कुरैशी ने इसके लिए फिर से सरकार को पत्र लिखने की मंशा जताई। आयोग के साथ बैठक में टीम अन्ना की ओर से पूर्व कानून मंत्री शाति भूषण, अरविंद केजरीवाल, प्रशात भूषण, किरण बेदी और मनीष सिसौदिया मौजूद थे। बैठक के दौरान शाति भूषण ने जन प्रतिनिधित्व कानून में बदलाव की जरूरतों पर भी जोर दिया। उनका कहना था कि इसमें यह प्रावधान किया जाए कि अगर नापसंदगी के बटन को बहुमत मिले तो दोबारा चुनाव करवाए जाएं। साथ ही पहली बार में शामिल सभी उम्मीदवारों और पार्टियों को फिर चुनाव लड़ने से रोक दिया जाए। आयोग के एक सदस्य ने इस पर शका जताई कि ऐसे में बड़ी तादाद में दोबारा मतदान करवाना पड़ सकता है। हालाकि शाति भूषण का कहना था कि यह सिर्फ राजनीतिक पार्टियों पर दबाव बनाने के लिए काम आएगा ताकि वे भ्रष्ट उम्मीदवारों को अपना टिकट न दें।

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