नई दिल्ली:
योग गुरु बाबा रामदेव का दावा है कि उन्हें जून के
आंदोलन को वापस लेने के लिए बड़ी रकम की पेशकश की गई थी. वह यह भी कह रहे
हैं कि उन्हें सरकार की तरफ से एक मंत्री ने यह पेशकश दी थी. हालांकि
रामदेव अब भी उस मंत्री का नाम नहीं बता रहे हैं.|
बाबा रामदेव के
मुताबिक, 'मुझे आंदोलन वापस लेने के लिए सरकार की तरफ से पैसों का
प्रस्ताव आया, लेकिन मैं अभी से नाम नहीं बताऊंगा क्योंकि इस समय उसका
औचित्य नहीं है. मैं लोकसभा चुनाव से पहले मंत्री का नाम भी बताऊंगा और यह
भी बताऊंगा कि किस जगह मुझे प्रस्ताव दिया गया था |
रामदेव का यह
बयान बड़ा मुद्दा बन सकता है. लेकिन सवाल यह है कि रामदेव अब तक चुप क्यों
थे? आखिर रामदेव उस केंद्रीय मंत्री का नाम क्यों नहीं बता रहे हैं जिसने
उन्हें पेशकश की? आखिर इस बात का एलान 2014 के चुनाव के पहले करने के पीछे
मंशा क्या है?
हालांकि रामदेव के दावे में कितना दम है इस पर सवाल इसलिए उठता है क्योंकि उन्होंने इससे पहले भी इसी तरह का एक दावा किया था |
उन्होंने कहा था, 'भ्रष्टाचार इस देश में बुरी तरह से फैल गया है. हम लोगों की भलाई के लिए वहां (उत्तराखंड) धर्मशाला खोलना चाहते थे. हमने आवेदन पत्र लगाया तो एक मंत्री ने हम से ही दो करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी. मैं सीधे मुख्यमंत्री के पास गया और इसकी शिकायत की तो उन्होंने कहा कि हां, यह सही नहीं हुआ उन्हें आप से सीधे पैसे नहीं मांगकर डोनेशन के नाम पर पैसे मांगने चाहिए थे |
रामदेव ने उत्तराखंड के उस मंत्री का नाम अब तक नहीं बताया और न ही यह बताया कि उस वक्त उत्तराखंड का मुख्यमंत्री कौन था ?
इस बीच रामदेव के अनशन पर पुलिस कार्रवाई के मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के सलाहकार वकील राजीव धवन ने कोर्ट से कहा है, 'सरकार ने चार जून को रामदेव के आंदोलन पर कार्रवाई की पूरी योजना तैयार कर रखी थी, लेकिन रामदेव और सरकार के बीच बातचीत की वजह से इसे पहले टाल दिया गया था. सरकारी कार्रवाई इसलिए की गई ताकि रामदेव और अन्ना का आंदोलन मिलकर बड़ा रूप न ले ले. सरकार ने पूरी स्क्रिप्ट के मुताबिक यह कार्रवाई की. पहले तो गृह मंत्रालय ने रामदेव को खतरा बताते हुए उन्हें जेड प्लस सुरक्षा दी और फिर यह कार्रवाई की.|
गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस ने 4 जून की रात रामलीला मैदान में रामदेव के समर्थकों पर अचानक कार्रवाई की थी. इसके बाद रामदेव को विमान से देहरादून भेज दिया गया था. हालांकि दिल्ली पुलिस यह कहती रही है कि कार्रवाई इसलिए की गई क्योंकि उसे कानून व्यवस्था बिगड़ने का खतरा था.|
उन्होंने कहा था, 'भ्रष्टाचार इस देश में बुरी तरह से फैल गया है. हम लोगों की भलाई के लिए वहां (उत्तराखंड) धर्मशाला खोलना चाहते थे. हमने आवेदन पत्र लगाया तो एक मंत्री ने हम से ही दो करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी. मैं सीधे मुख्यमंत्री के पास गया और इसकी शिकायत की तो उन्होंने कहा कि हां, यह सही नहीं हुआ उन्हें आप से सीधे पैसे नहीं मांगकर डोनेशन के नाम पर पैसे मांगने चाहिए थे |
रामदेव ने उत्तराखंड के उस मंत्री का नाम अब तक नहीं बताया और न ही यह बताया कि उस वक्त उत्तराखंड का मुख्यमंत्री कौन था ?
इस बीच रामदेव के अनशन पर पुलिस कार्रवाई के मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के सलाहकार वकील राजीव धवन ने कोर्ट से कहा है, 'सरकार ने चार जून को रामदेव के आंदोलन पर कार्रवाई की पूरी योजना तैयार कर रखी थी, लेकिन रामदेव और सरकार के बीच बातचीत की वजह से इसे पहले टाल दिया गया था. सरकारी कार्रवाई इसलिए की गई ताकि रामदेव और अन्ना का आंदोलन मिलकर बड़ा रूप न ले ले. सरकार ने पूरी स्क्रिप्ट के मुताबिक यह कार्रवाई की. पहले तो गृह मंत्रालय ने रामदेव को खतरा बताते हुए उन्हें जेड प्लस सुरक्षा दी और फिर यह कार्रवाई की.|
गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस ने 4 जून की रात रामलीला मैदान में रामदेव के समर्थकों पर अचानक कार्रवाई की थी. इसके बाद रामदेव को विमान से देहरादून भेज दिया गया था. हालांकि दिल्ली पुलिस यह कहती रही है कि कार्रवाई इसलिए की गई क्योंकि उसे कानून व्यवस्था बिगड़ने का खतरा था.|
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