Monday 6 February 2012

37 साल से प्रधानमन्त्री इंदिरा की घोषणा नहीं चढ़ पाई सिरे

  • देश का पहला सर्वोच वीरता पुरस्कार हासिल करने वाली सरस्वती आज भी झेल रही है जिन्दगी का सबसे बड़ा दंश 
  • करनाल (अनिल लाम्बा) 
  •                     कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी भले ही देश की गरीब जनता को लुभाने के लिए उनकी झोपडिय़ों में रात गुजारते हो या फिर उनकी थाली में खाना खाते हो। मगर सच्चाई यह है कि गांधी परिवार को गरीबो के वोट लेने की आदत तो है। मगर गरीब का भला करने की फितरत कतई नहीं है। राहुल गांधी की दादी ने बतौर प्रधानमंत्री रहते हुए 1973 में जिस 15 साल की आपाहिज लडक़ी को देश का पहला सवोच्च वीरता पुरस्कार से नवाजा था। वह 37 साल बाद भी स्व: प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी की घोषणा की मोहताज है। कांग्रेस राज में यदि एक प्रधानमंत्री की घोषणा ही गोल हो जाएं तो सोचा जा सकता है कि गांधी परिवार देश के बाकि गरीब लोगों के लिए क्या सेवा भाव रखता होगा। मध्यप्रदेश के होसंगाबाद जिले में स्थित एक कार्यालय के पास बनी झोपड़ पट्टी नुमा मकान में रहने वाली 15 वर्षीय सरस्वती ने आई भीषण बाढ़ में 150 लोगों की जिन्दगी बचाई थी। उसने अपनी जान को खतरे में डालकर एक छोटी सी नाव के सहारे नर्मदा की लहरो से लड़ते हुए लगातार 9 घंटे तक लोगों की जिन्दगी बचाने में लगी रही। राहत कार्यो में जूटे सेना के जवानों ने सरस्वती के इस साहस को कैमरे में कैद कर लिया। नन्ही सरस्वती के जज्बे को देखकर तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी भी बड़ी प्रभावित हुई। उन्होंने सरस्वती को देश का पहला सर्वोच्च वीरता पुरस्कार दिया था। यही नहीं उसका उपनाम साहसी भी रखा गया।इस मौके पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ने सरस्वती को आजीवन पैंशन, जिन्दगी भर मुफ्त रेल यात्रा, खेती के लिए 10 एकड़ भूमि तथा रहने के लिए मकान बनाकर देने की घोषणा की थी।
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  • सरस्वती आज 51 साल की हो गई है। लेकिन इन 37 सालों में न जाने कितने अधिकारी होसंगाबाद में आए। मुख्यमंत्री भी आए लेकिन किसी ने भी इन्दिरा गांधी की घोषणा को सिरे नहीं चढ़ाया। यही नहीं सरस्वती के हक में घोषणा करने वाली तत्कालीन प्रधानमंत्री भी अपनी घोषणा को भूल गई और उन्होंने मुडकर सरस्वती की ओर नहीं देखा। पिछले कई सालो से सरस्वती इन घोषणाओं को हासिल करने के लिए कलेक्टरो के दरवाजे के आगे नाक तक रगट चुकी है। लेकिन किसी ने भी उस पर रहम नहीं किया। सरस्वती को मकान के लिए जो प्लाट दिया गया था। वहां अब नगर निगम ने सडक़ बना दी है। साहसी सरस्वती नाम पर एक फिल्म बनाई गई थी। जिसे दूरदर्शन पर दिखाया गया। यही नहीं इस फिल्म का प्रचार भी किया गया। लेकिन सरस्वती की हालत आज भी जस की तस बनी हुई है। आज भी सरस्वती के पास देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी का भेजा गया पत्र पड़ा है। जिस पर यह लिखा है कि सरस्वती सारे देश को तुम पर गर्व है।इन्दिरा गांधी की घोषणा को सिरे नहीं37 साल से प्रधानमंत्री इन्दिरा की घोषणा नहीं चढ़ पाई सिरे देश का पहला सर्वोच्च वीरता पुरस्कार हासिल करने वाली सरस्वती आज भी झेल रही है जिन्दगी का सबसे बड़ा दंश स्व: इन्दिरा गांधी ने की थी आजीवन पैंशन, मुक्त रेल यात्रा, रहने के लिए मकान और 10 एकड़ जमीन देने की घोषणा |सरस्वती आज 51 साल की हो गई,लेकिन इन 37 सालो में ना जाने कितने अधिकारी होसनगाबाद में आए मुख्यमंत्री भी आए लेकिन किसी ने भी इंदिरा  गाँधी की घोषणा को सिरे नहीं चढाया |यही नहीं सरस्वती के हक़ में घोषणा करने वाली तत्कालीन प्रधानमंत्री भी  अपनी घोषणा को भूल गई और उन्होंने मुड कर सरस्वती की और नहीं  देखा|पिछले कई सालो  से  सरस्वती इन घोषनाओ को हासिल करने के लिए कलेक्टरों के  आगे नाक रगड चुकी है |लेकिन किसी ने भी उस पर रहम नहीं किया |सरस्वती को मकान के लिए जो प्लाट दिया गया था वहा पर अब नगर निगम ने सड़क बना दी है|साहसी सरस्वती पर फिल्म भी बनाई गई थी जिसको दूरदर्शन पर दिखाया  गया था |लेकिन सरस्वती की हालत आज जस की तस बनी हई है |आज भी सरस्वती  के पास तत्कालीन प्रधानमन्त्री इंदिरा गाँधी भेजा गया पत्र पड़ा है |जिस यह लिखा है की सरस्वती सारे देश को तुम पर गर्व है लेकिन जो घोषनाये इंदिरा गाँधी ने की थी वह सरवती को आज तक नहीं मिली |इसे देश का दुर्भाग्य ही समझा जायेगा की एक प्रधानमन्त्री के द्वारा की गई घोषणा उड़न छू हो गई |    

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