Thursday 19 January 2012

दुष्कर्म मामले में कृषि मंत्री प्रदीप महारथी की गई कुर्सी

भुवनेश्वर
पिपली सामूहिक दुष्कर्म मामले में कथित तौर पर आरोपियों का बचाव करने के लिए लगातार आलोचना का सामना कर रहे ओडिशा के कृषि मंत्री प्रदीप महारथी ने गुरुवार को नैतिक आधार पर पर इस्तीफा दे दिया। उन्होंने यह इस्तीफा अगले माह होने वाले पंचायत चुनावों से पहले और सत्तारुढ़ बीजद और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के हित में दिया है।
नवीन पटनायक ने कहा, महारथी ने अपना इस्तीफा पत्र सौंप दिया है। उन्होंने नैतिक आधार पर इस्तीफा दिया है। मैंने इसे मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेज दिया है। दलित लड़की से दुष्कर्म मामले में विपक्ष की तरफ से सीबीआई की मांग पर मुख्यमंत्री ने कहा कि चूंकि उनकी सरकार इस मामले पर पहले ही एक न्यायिक जांच का आदेश दे चुकी है, इसलिए सीबीआई जांच की कोई जरूरत नहीं है।
पटनायक ने कहा कि उनकी सरकार ने 19 वर्षीय लड़की के उचित इलाज के लिए कदम उठाया है। लड़की अभी एससीबी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के आईसीयू में जीवन से संघर्ष कर रही है।
उन्होंने कहा कि वह दोषियों को सजा और 19 वर्षीय दलित लड़की को न्याय दिलाना चाहते हैं। अपने खिलाफ लगे आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा, मैं कायर नहीं हूं, मैं बहादुर हूं। मैं किसी भी प्रकार की जांच का सामना करने को तैयार हूं।
पांच बार विधायक रहे और पिछले साल 10 मई को मंत्री बनाए गए महारथी ने कहा कि न्यायपालिका में उनका पूरा विश्वास है और विपक्षी राजनीतिक पार्टियों द्वारा उनकी छवि को खराब करने का अभियान चलाए जाने के बावजूद सच्चाई सामने आएगी।
मुख्यमंत्री के स्थिति का जायजा लेने और महापात्र पर एक दो दिनों में फैसला लिए जाने की बात कहने के एक दिन बाद यह घटनाक्रम सामने आया है। इससे पहले पटनायक ने कहा था कि पिपली में दुष्कर्म मामले में दोषी पाए गए लोगों के खिलाफ कड़ी कारवाई की जाएगी।
महारथी के इस्तीफे से असंतुष्ट विपक्षी कांग्रेस और भाजपा ने इसे ढ़कोसला और एक ड्रामा बताते हुए मुख्यमंत्री से नैतिक आधार पर पद छोड़ देने की मांग की है। ओडिशा प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष निरंजन पटनायक ने कहा, महारथी का इस्तीफा काफी नहीं है। यह एक नाटक है। हम मुख्यमंत्री का इस्तीफा चाहते हैं। हमारी लड़ाई जारी रहेगी। इसी तरह की मांग करते हुए राज्य भाजपा अध्यक्ष जुअल ओराम ने कहा कि पटनायक को नैतिक आधार पर अवश्य इस्तीफा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि दुष्कर्म पीड़िता को न्याय सुनिश्चित करने के लिए आंदोलन जारी रहेगा। पीड़िता का अभी कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में उपचार चल रहा है।
दलित लड़की के साथ दुष्कर्म मामले में राज्यव्यापी आंदोलन चलाने वाली विपक्षी राजनीतिक पार्टियों और नागरिक समाज ने इस मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की है क्योंकि उनका कहना है कि लोगों को राज्य की पुलिस पर भरोसा नहीं है।
हालांकि, 28 नवंबर 2011 दुष्कर्म मामले में चार आरोपियों में से तीन को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पीड़िता के उपचार के लिए ओडिशा के बाहर से विशेषज्ञों को बुलाने के लिए राज्य सरकार ने कदम उठाया है। पीड़िता अभी अस्पताल की सघन चिकित्सा इकाई [आईसीयू] में भर्ती है। उन्होंने बताया कि चौथे आरोपी-अबुआ उर्फ सुकांत प्रधान को पकड़ने के लिए सारे प्रयास किए जा रहे हैं।
मुख्य सचिव बीके पटनायक के मुताबिक पीड़िता के अभिभावकों द्वारा उसे एम्स में भर्ती कराए जाने पर विरोध के बाद सरकार ने राज्य के बाहर से विशेषज्ञों को बुलाने का फैसला किया। लड़की को हाई कोर्ट के एक आदेश के बाद कैपिटल अस्पताल से एससीबी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लड़की के साथ कथित तौर पर 28 नवंबर को दुष्कर्म हुआ था लेकिन लोगों के कड़े विरोध को देखते हुए राज्य मानवाधिकार आयोग के हस्तक्षेप के बाद पुलिस ने इस साल नौ जनवरी को एफआईआर दर्ज किया था।

हरियाणा स्टेट एग्रीकल्चर मार्केटिंक बोर्ड फील्ड स्टाफ एम्पलाईज वैलफेयर एसोसिएशन की बैठक

दीपक पंचाल असंध
           स्थानीय अनाज मण्डी स्थित मार्केटिंग बोर्ड कार्यालय में हरियाणा स्टेट एग्रीकल्चर मार्केटिंक बोर्ड फील्ड स्टाफ एम्पलाईज वैलफेयर एसोसिएशन बैठक में प्रस्ताव पारित कर प्रदेश मुख्यमंत्री,मंत्री व बोर्ड के मुख्य प्रशासक का वर्ष 2009-10 का बोनस एक्स ग्रेसिया भुगतान के लिए धन्यवाद किया गया।
           बैठक को संबोधित करते हुए एसोसिएशन प्रदेशाध्यक्ष फकीर चन्द ने कहा कि केन्द्रीय वित्त मंत्री का महंगाई नियंत्रित करने के नाम पर राज्य सरकारों को अनाज,सब्जी,फल आदि पर मार्केट फीस समाप्त करने का सुझाव दुर्भाग्यपूर्ण है,यह बयान भ्रामक है,और ऐसा होने से न केवल बोर्ड के आर्थिक आय के स्त्रोतों पर प्रभाव पड़ेगा बल्कि मण्डी प्रबंधन पूजीपतियों के हाथों में चला जाएगा। उन्होंने चेताया कि एसोसियेशन ऐसे किसी निर्णय को कत्तई बर्दाश्त नहीं करेगी और पुरजोर विरोध भी किया जाएगा।
                     असंध की अनाजमण्डी मे बैठक में शामिल एचएसएएमबीएफईडब्यूए पदाधिकारी।
असंध मार्केट कमेटी सचिव सुलतान सिंह ने कहा कि बोर्ड को अनाज व सब्जी मण्डियों में किसानों को मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने के साथ साथ गांवों को मण्डियों से जोडऩे वाली सडक़ों के निर्माण व रखरखाव का भी पूरा ध्यान रखना चाहिए ताकि किसानों को अपनी उपज मण्डी में लाने में किसी तरह की असुविधा न हो। उन्होंने संगठन के कार्यों मे कमेटी में कार्यरत कर्मचारियों की तरफ से पूरे सहयोग का आश्वासन दिया।
              महेंद्र सिंह,रामफल नेहरा,चांद राम,चरण दास,करतार सिंह,कुलजीत कौर,कंवलजीत सिंह,सतविंद्र सिंह,जोगा सिंह,दश्रन लाल,राजेश कुमार,वेद प्रकाश,अशोक कुमार व अन्य मौजूद थे।
असंध क्षेत्र में पूरा दिन घनी धुंध छाई
दीपक पंचाल असंध 
           वीरवार को लगातार दूसरे दिन भी असंध क्षेत्र में पूरा दिन घनी धुंध छाई रही और कड़ाके की ठण्ड के चलते लोगों की दिनचर्या पूरी तरह से प्रभावित रही। दूसरे दिन भी सूर्यदेव के दर्शन नहीं हो सके। खराब रोशनी के बीच वाहन चालकों को भी खासी परेशानी का झेलनी पड़ी। घनी धुंध के बीच अलसुबह अपने बच्चों को स्कूली बाहनों में विदा कर अभिभावकों का दिन भी चिन्ता में गुजरा। कई अभिभावकों ने बताया कि हालांकि शरदकालीन छुट्टियों के दौरान मौसम इतना खराब नहीं रहा और स्कूल खुलते ही फिर से मौसम ज्यादा खराब हो गया है। ठण्ड का दौर ज्यों ज्यों लम्बा खिंचता जा रहा है सब्जी उत्पादकों विशेषकर जिन्होंने टमाटर की फसल उगाई हुई है की चिन्ताएं बढ़ी हैं जबकि गेहूं उत्पादक किसान वर्ग इसे वरदान मान रहा है। हालांकि पशुचारे के लिए बरसीम पर भी पारा गिरने से मार पड़ी है।

           इसके अलावा स्थानीय सब्जी मंडी भी ठण्ड के चलते मंदी के दौर से गुजर रही है। सब्जी विक्रताओं का कहना है कि मण्डी में ग्राहक सामान्य से काफी कम आ रहे हैं। इससे उनकी आय पर बुरा असर पड़ा है।
 गणतंत्र दिवस सामारोह के लिए तैयारिया
असंध  
       गणतंत्र दिवस सामारोह को गरिमापूर्ण व धूमधाम से मनाने के लिए विभिन्न स्कूलों में चल रही सांस्कृतिक कार्यक्रमों की रिहर्सल का निरिक्षण तहसीलदार जगदीश चन्द्र,खंड शिक्षा अधिकारी बीना कठपालिया,प्रधानाचार्य महेन्द्र देव एवं एआईपीआरओ कृष्ण कुमार ने किया और उन्हें कुछ जरूरी दिशा-निर्देश भी दिए।

        गणतंत्र दिवस सामारोह के लिए सभी स्कूलों ने अलग-अलग तरह के कार्यक्रम तैयार किये है। जिनमें डीएवी पब्लिक स्कूल की देश भक्ति पर आधारित कव्वाली,जेपीएस एकेडमी का पंजाबी फोक डांस,गुरू अर्जुन देव सी.से.स्कूल का गीद्दा,मिनर्वा पब्लिक स्कू ल का हरियाणवीं ग्रुप डांस,विवेकानंद स्कू ल का राजस्थानी कोरियोग्राफी,आदर्श पब्लिक स्कूल की जिम्नास्टिक एवं स्कूली बच्चों का बैंड शामिल है। इसके अलावा सभी स्कूलों के सामुहिक बच्चे मार्च पास्ट,पीटी शो,डम्बल,लेजियम का प्रदर्शन भी करेगें। समारोह को भव्य रूप प्रदान करने के लिए विकासात्मक झांकियां निकाली जायेंगी। इनमें  सहकारी चीनी मिल, कृषि विभाग,वन विभाग,स्वास्थ्य विभाग,पशुपालन विभाग, शिक्षा विभाग,विकास एवं पंचायत विभाग,उ.ह.बि.वि.निगम, सेंट जोसफ स्कूल की तरफ से भी झांकी निकाली जायेगी।
बच्चों का टीकाकरण किया गया।
असंध 
       खसरा रक्षक टीकाकरण अभियान के तहत स्थानीय जेपीएस एकेडमी तथा एमएम पब्लिक स्कूल के साथ-साथ गांव ठरी,जबाला,अरड़ाना,बंदराला,बाहरी के स्कूलों में पांचवी कक्षा तक के बच्चों का टीकाकरण किया गया।

        डाक्टर मुनीष गोयल ने बताया कि असंध क्षेत्र में इस अभियान को सफल बनाने के लिए 10 सुपरवाईजर तथा 40 टीमों  का गठन किया गया है। उन्होंने बताया कि हर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में सुबह नौ बजे से दोपहर दो बजे तक खसरा रक्षक टीके  लगाए जा रहे है। उन्होंने सभी अभिभावकों से अपील की है कि वे नौ महीने से दस साल के बच्चों को खसरा रक्षक टीका जरूर लगवाएं चाहे बच्चों को पहले भी टीका लगा हो। इस टीके का बच्चे के स्वास्थ्य पर कोई विपरित प्रभाव नहीं पड़ता है।
        इस अवसर पर डाक्टर राजेश जौहरी,डाक्टर अरूण शर्मा,डाक्टर कमलकान्त,डाक्टर कृष्ण,ज्ञानचन्द आदि उपस्थित थे।
 गन्ने की ट्राली से एक स्कार्पियो टकराने से दो व्यक्तियों की मौत
असन्ध 
      बुधवार देर रात गांव सालवन के समीप सडक़ पर खड़ी गन्ने की ट्राली से एक स्कार्पियो टकराने से दो व्यक्तियों की मौत हो गई जबकि पांच घायल हो गए। स्कार्पियो सवार एक शादी समारोह से लौट रहे थे। घायलों को नगर के सामान्य अस्पताल दाखिल करवाया गया जंहा से एक की गम्भीर हालत को देखते हुए ट्रामा सैंटर करनाल रैफर कर दिया गया।
     घायल महावीर ने पुलिस को दिए बयान में बताया कि पानीपत के गांव ददलाना में वे अपने साले की शादी समारोह में आए थे और रात कैथल के गांव से बारात से वापिस ददलाना लौट रहे थे कि सालवन के समीप गन्ने की खड़ी ट्राली से उनकी गाड़ी टकरा गई। इस दुर्घटना में ददलाना निवासी चालक परमजीत व रजापुर करनाल निवासी नरेन्द्र की मौके पर ही मौत हो गई। घायल महावीर ने दुर्घटना की सूचना अपने ससुराल में दी और मौके पर पंहुची पुलिस ने घायल महावीर,मालक सिंह थल,अंग्रेज ङ्क्षसह,अवतार सिंह व गुरदेव को अस्पताल पंहुचाया।
    पुलिस ने दोनो शवों का पोस्टमार्टम करवा परिजनों को सौंप दिया और आरोपी ट्रैक्टर चालक के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी।
तीन लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज 

दीपक पांचाल असन्ध 
    पिछले दिनों गांव कुड़लन के डाकघर में एक डाकिए द्वारा जमा खातों में की गई गड़बडी और बाद में हुई विभागीय जांच के बाद डाकघर में कार्यरत शिव कुमार व उसके भाई सहित तीन लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है।
     पीडि़त सदानंद ने पुलिस को दी शिकायत में आरोप लगाया था कि आरोपी शिव कुमार और राजकुमार गांव के ही डाकघर में काम करते हैं और ग्रामीणों ने अपनी मेहनत की कमाई को जमा करवााने के लिए डाकघर में खाते खुलवाए। आरोप है कि उक्त कर्मचारियों ने ग्रामीणों के साथ विश्वासघात कर उनसे लिए पैसे उनके खाते में नही जमा करवाए जबकि पासबुक पर पैसे की एन्ट्री भर दी गई। पिछले दिनों आरोपियों के खिलाफ कारवाई की मांग को लेकर ग्रामीण भारी संख्या में एसपी करनाल को मिले और विभाग के उच्चाधिकारियों को भी इसकी शिकायत की। आरोपियों ने अपने शातिर दिमाग से गरीब और अनपढ़ ग्रामीणों को अपना निशाना बनाया। गबन की राशि 50 लाख रूपए से अधिक आंकी जा रही है।

हरियाणा दिनरात समाचार पत्र





Wednesday 18 January 2012

सोनीपत जेल से आठ खूंखार कैदी फरार

सोनीपत: हरियाणा के सोनीपत की सैंट्रल जेल के बैरक की ग्रिल को काट कर आठ खूंखार कैदी रस्से के सहारे जेल से बुधवार तडके फरार हो गए.

सूचना मिलते ही सोनीपत जेल व जिला पुलिस के आलाधिकारी मौके पर पहुंच गए है और जिले की तमाम सीमाओं को सील कर दिया गया है.

जेल से फरार हुए कैदी हत्या डकैती व फिरौती जैसे संगीन मामलों में सजा काट रहे थे वहीं मौके का जायजा लेने के लिए रोहतक रेंज के आईजी व आईजी जेल भी सोनीपत का रूख कर रहे हैं.

कोहरा का फायदा उठाते हुए सोनीपत की जेल में सजा काट रहे आठ कैदी जेल की सलाखों को काट कर वहां से फरार होने में कामयाब हो गए. फरार हुए कैदी बैरक नंबर 3ए व 3बी बैरक में थे.

रात के समय जेल में काफी सख्त पहरा भी लगाया जाता है. जहां एक तरफ जेल के बाहर व दीवारों पर पुलिस की पैनी नजर होती है तो वहीं दूसरी तरफ जेल के अंदर भी पहरेदारी का जाती है.

ऐसे में आठ कैदियों के जेल से फरार हो जाना संदेह जताता है. फिलहाल जेल के अंदर लोहे को काटने के लिए इस्तेमाल किए गए ब्लेड भी पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिए हैं.

Saturday 7 January 2012

छह हजार रुपये के लिए किया मासूम का कत्ल

इलाहाबाद: महज़ छः हज़ार रूपये की खातिर एक महिला ने पंद्रह महीने के दुधमुंहे बच्चे को गोली मारकर उसे बेरहमी से क़त्ल कर दिया| इलाहाबाद के धूमनगंज थाना पुलिस ने पूजा सिंह नाम की एक महिला को बच्चे के कत्ल के आरोप में गिरफ्तार किया है| बेहद अच्छे घराने से ताल्लुक रखने वाली इस महिला पर अपने पड़ोसी राजेन्द्र कुमार शर्मा के पंद्रह महीने के दुधमुंहे बेटे तेजस को गोली मारकर उसे बेरहमी से क़त्ल करने का आरोप है|.
             दरअसल तेजस के पिता राजेन्द्र ने अपनी बीमार माँ के इलाज के लिए पूजा नाम की इस महिला से साठ हज़ार रूपये ब्याज पर उधार लिए थे. ब्याज के तौर पर राजेन्द्र हर महीने की पहली तारीख को पूजा को छः हज़ार रूपये अदा करते थे.| बीमार माँ के अस्पताल में भर्ती होने की वजह से राजेन्द्र अपने वायदे के मुताबिक़ इस महीने पहली तरीख को ब्याज का पैसा नहीं दे सके. सिविल कांट्रेक्टर की पत्नी पूजा इस पर रोज़ राजेन्द्र के घर पहुंचकर उससे गाली-गलौज करती थी|.
                                     ब्याज के छः हज़ार रूपये लेने के लिए पूजा आज शाम फिर पहुँची तो परेशान राजेन्द्र ने उससे दो दिन की और मोहलत माँगी |. इस पर पूजा ने अपने बैग से तमंचा निकालकर राजेन्द्र के पंद्रह महीने के बेटे तेजस को गोली मार दी.| गोली लगने से मासूम तेजस की मौके पर ही मौत हो गई|.
                           पंद्रह महीने के मासूम तेजस को दिनदहाड़े गोली मारकर क़त्ल किये जाने की वारदात के बाद धूमनगंज इलाके में अफरा-तफरी मच गई. क़त्ल की आरोपी पूजा नाम की महिला वारदात को अंजाम देने के बाद जब भागने की फिराक में थी तभी पुलिस ने मौके पर पहुंचकर उसे गिरफ्तार कर लिया|
पुलिस ने आरोपी पूजा के पास से वारदात में इस्तेमाल किये गए तमंचे को भी बरामद कर लिया है. पुलिस के मुताबिक़ इस मामले में तहकीकात करने के बाद  सख्त कार्रवाई की जाएगी|
                     शुरुआती छानबीन में पुलिस को जानकारी मिली है कि बेहद अच्छे घर से ताल्लुक रखने वाली पूजा ने कई लोगों को ब्याज पर पैसे बाँट रखे थे.| ब्याज की रकम मिलने में देरी होने पर वह लेडी डॉन की तरह लोगों को डराती धमकाती थी|.लोगों को डराने के लिए ही वह तमंचा लेकर चलती थी.| बहरहाल दौलत की हवस में अंधी होकर महज़ छः हज़ार रूपये की खातिर पंद्रह महीने के मासूम को क़त्ल करने वाली इस बेरहम महिला ने राजेन्द्र के घर का इकलौता चिराग भी बुझा दिया.|

भारतीय नवजागरण के अग्रदूत भारतेन्दु हरिश्चचंद्र। हिन्दी साहित्य को रीतिकाल की विकृत सामंती प्रवृत्तियों से दिलाई मुक्ति।


    भारतेन्दु हरिश्चन्द्र आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह और भारतीय नवजागरण के अग्रदूत कहे जाते हैं। भारतेन्दु हिन्दी में आधुनिकता के पहले रचनाकार थे। उनका कार्यकाल युग की सन्धि पर खड़ा है। उन्होंने रीतिकाल की विकृत सामन्ती संस्कृति की पोषक वृत्तियों को छोडक़र स्वस्थ परम्परा की भूमि अपनाई और नवीनता के बीज बोए। भारतेन्दु जी ने देश की गरीबी, पराधीनता, शासकों के अमानवीय शोषण के चित्रण को ही अपने साहित्य का लक्ष्य बनाया। हिन्दी को राष्ट्र-भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने की दिशा में उन्होंने अपनी प्रतिभा का उपयोग किया। हिन्दी साहित्य में आधुनिक काल का प्रारम्भ भारतेन्दु हरिश्चन्द्र से माना जाता है।
    भारतेन्दु बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। हिंदी पत्रकारिता, नाटक और काव्य के क्षेत्र में उनका बहुमूल्य योगदान रहा। हिंदी में नाटकों का प्रारंभ भारतेन्दु हरिश्चंद्र से माना जाता है। भारतेन्दु के नाटक लिखने की शुरुआत बंगला के विद्यासुंदर (1867) नाटक के अनुवाद से होती है। यद्यपि नाटक उनके पहले भी लिखे जाते रहे किंतु नियमित रूप से खड़ीबोली में अनेक नाटक लिखकर भारतेन्दु ने ही हिंदी नाटक की नींव को सुदृढ़ बनाया। उन्होंने हरिश्चंद्र पत्रिका, कविवचन सुधा और बाल विबोधिनी पत्रिकाओं का संपादन भी किया। वे एक उत्कृष्ट कवि, सशक्त व्यंग्यकार, सफल नाटककार, जागरूक पत्रकार तथा ओजस्वी गद्यकार थे। इसके अलावा वे लेखक, कवि, संपादक, निबंधकार, एवं कुशल वक्ता भी थे। भारतेन्दु जी ने मात्र 34 वर्ष की अल्पायु में ही विशाल साहित्य की रचना की।
    भारतेंदु हरिश्चंद्र का जन्म 9 सितंबर, 1850 में काशी के एक प्रतिष्ठित वैश्य परिवार में हुआ। उनके पिता गोपाल चंद्र एक अच्छे कवि थे और गिरधर दास उपनाम से कविता लिखा करते थे। 1857 में प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय उनकी आयु 7 वर्ष की होगी। ये दिन उनकी आँखें खुलने के थे। भारतेन्दु का कृतित्व साक्ष्य है कि उनकी आँखें एक बार खुलीं तो बन्द नहीं हुईं। पैंतीस वर्ष की आयु (सन् 1885) में उन्होंने मात्रा और गुणवत्ता की दृष्टि से इतना लिखा, इतनी दिशाओं में काम किया कि उनका समूचा रचनाकर्म पथदर्शक बन गया।            
    बचपन में संवेदनशील व्यक्ति के नाते उनमें स्वतन्त्र रूप से देखने-सोचने-समझने की आदत का विकास होने लगा। पढ़ाई की विषय-वस्तु और पद्धति से उनका मन उखड़ता रहा। क्वींस कॉलेज, बनारस में प्रवेश लिया, तीन-चार वर्षों तक कॉलेज आते-जाते रहे पर यहाँ से मन बार-बार भागता रहा। स्मरण शक्ति तीव्र थी, ग्रहण क्षमता अद्भुत। इसलिए परीक्षाओं में उत्तीर्ण होते रहे। बनारस में उन दिनों अंग्रेजी पढ़े-लिखे और प्रसिद्ध लेखक - राजा शिवप्रसाद सितारे हिन्द थे, भारतेन्दु शिष्य भाव से उनके यहाँ जाते। उन्हीं से अंग्रेजी शिक्षा सीखी। भारतेन्दु ने स्वाध्याय से संस्कृत, मराठी, बंगला, गुजराती, पंजाबी, उर्दू भाषाएँ सीख लीं।
    उनको काव्य-प्रतिभा अपने पिता से विरासत के रूप में मिली थी। उन्होंने पांच वर्ष की अवस्था में ही निम्नलिखित दोहा बनाकर अपने पिता को सुनाया और सुकवि होने का आशीर्वाद प्राप्त किया-
लै ब्योढ़ा ठाढ़े भए श्री अनिरुध्द सुजान।
वाणा सुर की सेन को हनन लगे भगवान॥
    पंद्रह वर्ष की अवस्था से ही भारतेंदु ने साहित्य सेवा प्रारंभ कर दी थी। अठारह वर्ष की अवस्था में उन्होंने कवि वचन-सुधा नामक पत्र निकाला, जिसमें उस समय के बड़े-बड़े विद्वानों की रचनाएं छपती थीं। वे बीस वर्ष की अवस्था मे ऑनरेरी मैजिस्ट्रेट बनाए गए और आधुनिक हिन्दी साहित्य के जनक के रूप मे प्रतिष्ठित हुए। उन्होंने 1868 में कविवचनसुधा नामक पत्रिका निकाली, 1876 हरिश्चन्द्र मैगजीनक्व और फिर बाल बोधिनी नामक पत्रिकाएँ निकालीं, साथ ही उनके समांतर साहित्यिक संस्थाएँ भी खड़ी कीं। उनकी लोकप्रियता से प्रभावित होकर काशी के विद्वानों ने 1880 में उन्हें भारतेंदु की उपाधि प्रदान की। हिन्दी साहित्य को भारतेन्दु की देन भाषा तथा साहित्य दोनो ही क्षेत्रों में है। भाषा के क्षेत्र में उन्होंने खड़ी बोली के उस रूप को प्रतिष्ठित किया, जो उर्दू से भिन्न है और हिन्दी क्षेत्र की बोलियों का रस लेकर संवर्धित हुई है। इसी भाषा में उन्होंने अपने सम्पूर्ण गद्य साहित्य की रचना की। साहित्य सेवा के साथ-साथ भारतेंदु जी की समाज सेवा भी चलती थी। उन्होंने कई संस्थाओं की स्थापना में अपना योग दिया। दीन-दुखियों, साहित्यिकों तथा मित्रों की सहायता करना वे अपना कर्तव्य समझते थे। धन के अत्यधिक व्यय से भारतेंदु जी ॠणी बन गए और दुश्चिंताओं के कारण उनका शरीर शिथिल होता गया। परिणाम स्वरूप 1885 में अल्पायु में ही मृत्यु ने उन्हें ग्रस लिया।
    आधुनिक हिंदी साहित्य में भारतेंदु जी का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। भारतेंदु बहुमुखी प्रतिभा के स्वामी थे। कविता, कहानी, नाटक, उपन्यास, निबंध आदि सभी क्षेत्रों में उनकी देन अपूर्व है। भारतेंदु जी हिंदी में नव जागरण का संदेश लेकर अवतरित हुए। उन्होंने हिंदी के सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण कार्य किया। भाव, भाषा और शैली में नवीनता तथा मौलिकता का समावेश करके उन्हें आधुनिक काल के अनुरूप बनाया। आधुनिक हिंदी के वे जन्मदाता माने जाते हैं। हिंदी के नाटकों का सूत्रपात भी उन्हीं के द्वारा हुआ। भारतेंदु जी अपने समय के साहित्यिक नेता थे। उनसे कितने ही प्रतिभाशाली लेखकों को जन्म मिला। मातृ-भाषा की सेवा में उन्होंने अपना जीवन ही नहीं संपूर्ण धन भी अर्पित कर दिया। हिंदी भाषा की उन्नति उनका मूलमंत्र था -
निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा ज्ञान के मिटे न हिय को शूल।           
                                                                                                                                       विजय काम्बोज /अरुण कुमार कैहरबा।