भुवनेश्वर
पिपली सामूहिक दुष्कर्म मामले में कथित तौर पर आरोपियों का
बचाव करने के लिए लगातार आलोचना का सामना कर रहे ओडिशा के कृषि मंत्री
प्रदीप महारथी ने गुरुवार को नैतिक आधार पर पर इस्तीफा दे दिया। उन्होंने
यह इस्तीफा अगले माह होने वाले पंचायत चुनावों से पहले और सत्तारुढ़ बीजद
और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के हित में दिया है।
नवीन पटनायक ने कहा, महारथी ने अपना इस्तीफा पत्र सौंप दिया है।
उन्होंने नैतिक आधार पर इस्तीफा दिया है। मैंने इसे मंजूरी के लिए राज्यपाल
के पास भेज दिया है। दलित लड़की से दुष्कर्म मामले में विपक्ष की तरफ से
सीबीआई की मांग पर मुख्यमंत्री ने कहा कि चूंकि उनकी सरकार इस मामले पर
पहले ही एक न्यायिक जांच का आदेश दे चुकी है, इसलिए सीबीआई जांच की कोई
जरूरत नहीं है।
पटनायक ने कहा कि उनकी सरकार ने 19 वर्षीय लड़की के उचित इलाज के लिए
कदम उठाया है। लड़की अभी एससीबी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के आईसीयू में जीवन से
संघर्ष कर रही है।
उन्होंने कहा कि वह दोषियों को सजा और 19 वर्षीय दलित लड़की को न्याय
दिलाना चाहते हैं। अपने खिलाफ लगे आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा,
मैं कायर नहीं हूं, मैं बहादुर हूं। मैं किसी भी प्रकार की जांच का सामना
करने को तैयार हूं।
पांच बार विधायक रहे और पिछले साल 10 मई को मंत्री बनाए गए महारथी ने
कहा कि न्यायपालिका में उनका पूरा विश्वास है और विपक्षी राजनीतिक
पार्टियों द्वारा उनकी छवि को खराब करने का अभियान चलाए जाने के बावजूद
सच्चाई सामने आएगी।
मुख्यमंत्री के स्थिति का जायजा लेने और महापात्र पर एक दो दिनों में
फैसला लिए जाने की बात कहने के एक दिन बाद यह घटनाक्रम सामने आया है। इससे
पहले पटनायक ने कहा था कि पिपली में दुष्कर्म मामले में दोषी पाए गए लोगों
के खिलाफ कड़ी कारवाई की जाएगी।
महारथी के इस्तीफे से असंतुष्ट विपक्षी कांग्रेस और भाजपा ने इसे
ढ़कोसला और एक ड्रामा बताते हुए मुख्यमंत्री से नैतिक आधार पर पद छोड़ देने
की मांग की है। ओडिशा प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष निरंजन पटनायक ने कहा,
महारथी का इस्तीफा काफी नहीं है। यह एक नाटक है। हम मुख्यमंत्री का
इस्तीफा चाहते हैं। हमारी लड़ाई जारी रहेगी। इसी तरह की मांग करते हुए राज्य
भाजपा अध्यक्ष जुअल ओराम ने कहा कि पटनायक को नैतिक आधार पर अवश्य इस्तीफा
देना चाहिए। उन्होंने कहा कि दुष्कर्म पीड़िता को न्याय सुनिश्चित करने के
लिए आंदोलन जारी रहेगा। पीड़िता का अभी कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज अस्पताल
में उपचार चल रहा है।
दलित लड़की के साथ दुष्कर्म मामले में राज्यव्यापी आंदोलन चलाने वाली
विपक्षी राजनीतिक पार्टियों और नागरिक समाज ने इस मामले की सीबीआई से जांच
कराने की मांग की है क्योंकि उनका कहना है कि लोगों को राज्य की पुलिस पर
भरोसा नहीं है।
हालांकि, 28 नवंबर 2011 दुष्कर्म मामले में चार आरोपियों में से तीन को
पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पीड़िता के
उपचार के लिए ओडिशा के बाहर से विशेषज्ञों को बुलाने के लिए राज्य सरकार ने
कदम उठाया है। पीड़िता अभी अस्पताल की सघन चिकित्सा इकाई [आईसीयू] में
भर्ती है। उन्होंने बताया कि चौथे आरोपी-अबुआ उर्फ सुकांत प्रधान को पकड़ने
के लिए सारे प्रयास किए जा रहे हैं।
मुख्य सचिव बीके पटनायक के मुताबिक पीड़िता के अभिभावकों द्वारा उसे
एम्स में भर्ती कराए जाने पर विरोध के बाद सरकार ने राज्य के बाहर से
विशेषज्ञों को बुलाने का फैसला किया। लड़की को हाई कोर्ट के एक आदेश के बाद
कैपिटल अस्पताल से एससीबी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
लड़की के साथ कथित तौर पर 28 नवंबर को दुष्कर्म हुआ था लेकिन लोगों के कड़े
विरोध को देखते हुए राज्य मानवाधिकार आयोग के हस्तक्षेप के बाद पुलिस ने इस
साल नौ जनवरी को एफआईआर दर्ज किया था।
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